सारथी कला निकेतन (सकलानि)

Sunday, 11 February 2018

सागर की कहानी( 45)

सागर की कहानी( 45)
साहित्य संगीत और कला जगत के जितने भी लोग सारथी जी से जुड़े रहे उन सब के मन में उन के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव रहता ही । एक संस्मरण में प्रसिद्ध तबला वादक ब्रह्म स्वरूप सच्चर जी लिखते हैं- ओo पीo शर्मा सारथी के साथ मेरा परिचय लगभग 45 वर्षों के ऊपर का है। श्री सारथी जी के पास जब मैं बैठता तो मुझे ऐसा प्रतीत होता कि मैं कला के समुद्र में आ गया हूं। मैंने अपने जीवन में इन जैसा प्रतिभा संपन्न व्यक्ति शायद ही कोई पाया हो। आजकल के युग में जैसे हम टेप रिकॉर्डर को टू इन वन कहते हैं इसी तरह से सारथी जी को मैं सेवन इन वन कहा करता था।
एक अन्य संस्मरण में डोगरी के प्रख्यात गीतकार यश शर्मा जी लिखते हैं -एक रोज गांधी भवन में बच्चों के मुकाबले हो रहे थे वहीं पर कल्चर अकादमी का जन्म हुआ था वहां सारथी साहब बतौर जज उपस्थित थे। जिस समय एक रुपए का मूल्य लगभग 20 रुपए के बराबर था उन्होंने सीमा (मेरी गायक लड़की) को 20 रूपए का इनाम दिया था। उन्हीं दिनों ही उन्होंने सीमा को हरमोनियम के तीन सप्तकों पर हाथ रखा कर आशीर्वाद दिया था पर अपने पिता का स्वास्थ्य खराब होने के कारण सीमा को अधिक सिखा नहीं सकते थे। परंत इन के कारण ही मुझे संगीत के ताल का ज्ञान हो गया।
सारथी जी का ध्येय यही रहता कि व्यक्ति संगीत अथवा काव्य के द्वारा लय ताल को समझ कर अपने भीतर के लय ताल से जुड़ जाए। वे मानते कला कला के लिए नहीं, जीवन के लिए है । उन के अनुसार वह ज्ञान जो हमें भीतरी यात्रा की ओर अग्रसर नहीं करता किसी काम का नहीं। सारथी विचार मंच (sarathi school of thought) का एक मात्र लक्ष्य व्यक्ति को साहित्य, संगीत अथवा कलायों के माध्यम से भीतरी अज्ञात संसार से जोड़ना रहता। सारथी जी के अनुसार गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत ही साहित्य संगीत और कलायों का विकास हुआ है और इसी परंपरा के द्वारा आगे भी भीतर और बाहर का, अर्थात साधक का और कलायों का विकास संभव है । इसी परंपरा के अंतर्गत ग़ज़ल के अरूज़ सीखने वाले निरंतर उन से जुड़े रहे । डोगरी शीराज़ा – ग़ज़ल अंक - 2 (फरवरी- मार्च 1989) में डोगरी ग़ज़ल की विकास यात्रा की बात करते हुए डोगरी साहित्यकार ओम गोस्वामी जी लिखते हैं - ग़ज़ल की बात करते हुए एक बात जिसे भुलाया नहीं जा सकता वह है ओo पीo शर्मा सारथी की डोगरी ग़ज़ल को देन। शर्मा जी की ग़ज़ल का रंग रूप और बात कहने का अंदाज उनका अपना है । उन से इस्लाह लेने वाले युवा शायरों का एक रेला डोगरी ग़ज़ल के आंदोलन में शामिल हुआ है। इन शायरों में वीरेंद्र केसर तो बहुत पहले से डोगरी में लिखता आ रहा है पर सारथी जी के संपर्क में शाम तालिब, मोहम्मद अमीन वनहाली, दीपक आरसी, चमनलाल परवाना, प्यासा अंजुम का योगदान विशिष्ट और अलग पहचान बनाने वाला है । इन की ग़ज़ल के अंदाज पर सारथी जी की छाप बड़ी नुमाया है। इन्होंने अपनी उर्दू की पृष्ठभूमि के कारण ग़ज़ल को ग़ज़ल के अधिक नजदीक लाया है और एक अलग पहचान कायम की है।
........क्रमशः ..........कपिल अनिरुद्ध