सारथी कला निकेतन Sarathi Kala Niketan

सारथी कला निकेतन (सकलानि)

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Ghazals

Urdu Ghazals

मुझ में क्या था

एक सन्नाटा था

किस को अवसर है 

दर बदर जिस के लिए 

आदमी के जिस्म में 
कत्ल मेरी आरज़ू का 
लम्हों के जख्म सोयेंगे
किस्सा-ए-दर्द ज़रा 
खुद जल के तेरा हुस्न 
एक सन्नाट्टा था मैं 
जिस्म से निकला जो मैं तो 
शौक कश्ती है मेरी 

Dogri Ghazals

ज़िन्दगी दे टीसिया

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