सारथी कला निकेतन (सकलानि)

Thursday, 30 August 2012


श्री सारथी उवाच ..................

मैं यह कहूँगा कि यदि केंद्र बिंदु दृढ़ता से पकड़ लिया जाए तो किसी भी समय गोलाकार बनाया जा सकता है । परन्तु यदि केंद्र बिंदु खोजा नहीं गया अथवा गलत, ढीला और दुर्बल खोजा गया है तो जितने भी गोलाकार और गोल आकृतियाँ बनेंगे वह विकृत होंगी । यदि केंद्र है तो आकृतियाँ हों चाहे न हों, कोई अंतर नहीं पड़ता । परन्तु यह सर्वदा असंभव है कि केंद्र न हो और आकृतियाँ और गोलाकार हों ।
 ·  · August 19 at 12:29am

    • Joginder Singh कबीर जी का कथन है:
      चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रॉय,
      दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय,
      चाकी चाकी सब कहें कीली कहे न कोय,
      जो कीली से लाग रहे बाल न बांका होय...
      August 19 at 12:48am ·  · 2

    • Kapil Anirudh अति सुंदर.......

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