सारथी कला निकेतन (सकलानि)

Wednesday, 10 October 2012


श्री सारथी उवाच ................. " दुःख को पहचानो मैं यही कहूँगा। दुःख को पहचानो । यह तुम्हारा स्वयं ही को पहचानना होगा । स्वयं की पहचान दुःख की पहचान ही से संभव है और यदि तुम ने एक प्रारंभ दुःख के अनुसन्धान का कर लिया तो तुम जान लो कि तुम "बुद्ध" हो और तुम ने एक अर्थी को जाते हुए देख लिया ।"

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