---धरती का गीत ---रचनाकार --- गुरुदेव (डा.) ओ. पी .शर्मा "सारथी"
अगर तुम ज़मीं को ही माँ मानते हो
तभी जिंदा रहने की सूरत बनेगी
अगर सर की कीमत है मालूम तुम को
तभी शान से तुम सभी जी सकोगे
तभी जिंदा रहने की सूरत बनेगी
अगर सर की कीमत है मालूम तुम को
तभी शान से तुम सभी जी सकोगे
नहीं आदमी कोई बेबस खिलौना
नहीं ज़िन्दगी कोई सपना या जादू
अगर दिल की फितरत हो आज़ाद रहना
तभी सब की आज़ाद मूरत बनेगी
नहीं ज़िन्दगी कोई सपना या जादू
अगर दिल की फितरत हो आज़ाद रहना
तभी सब की आज़ाद मूरत बनेगी
अगर तुम ज़मीं को..........................
जो तुम चाहते हो कि ईश्वर को पांएँ
जो तुम चाहते हो कि मुक्ति को पांएँ
संवारो सभी मिल के धरती की किस्मत
जो धरती बनेगी तो किस्मत बनेगी
जो तुम चाहते हो कि मुक्ति को पांएँ
संवारो सभी मिल के धरती की किस्मत
जो धरती बनेगी तो किस्मत बनेगी
अगर तुम ज़मीं को..........................
ज़मीं पर ही ज़न्नत है अब मान लो तुम
वतन ज़िन्दगी है यह अब जान लो तुम
ज़मीन को बचालो वतन को संभालो
तो सब के लिए एक दौलत बनेगी
वतन ज़िन्दगी है यह अब जान लो तुम
ज़मीन को बचालो वतन को संभालो
तो सब के लिए एक दौलत बनेगी
No comments:
Post a Comment