श्री सारथी उवाच .................
"जब भी मैं और तुम या कोई अन्य आधे संकल्प, आधे सत्य से, आधी अधूरी निष्ठा और आधी अधूरी श्रद्धा से कार्य करेगा तो वह शीघ्र शक्ति खो कर थक जाएगा । थकेगा वही जो हाँ और नहीं के मध्य फंसा हुआ, आशा और निराशा के बीच फंसा हुआ, ईमानदारी और बेईमानी के मध्य फंसा हुआ कार्य कर रहा हो" ।
"जब भी मैं और तुम या कोई अन्य आधे संकल्प, आधे सत्य से, आधी अधूरी निष्ठा और आधी अधूरी श्रद्धा से कार्य करेगा तो वह शीघ्र शक्ति खो कर थक जाएगा । थकेगा वही जो हाँ और नहीं के मध्य फंसा हुआ, आशा और निराशा के बीच फंसा हुआ, ईमानदारी और बेईमानी के मध्य फंसा हुआ कार्य कर रहा हो" ।
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