सागर की कहानी (54)
इसी बात को अपने ढंग से अभिव्यक्त करते हुए हिन्दी साहित्य मंडल द्वारा आयोजित उपरोक्त विमोचन के अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोo सुभाष भारद्वाज कहते हैं – ‘सारथी के इस उपन्यास में सर्वोत्कृष्ट व्यंजना शैली का प्रयोग किया गया है। अभिनवगुप्त के अभिव्यंजनावाद में व्यंजना अथवा व्यंग्य को ही सर्वोत्कृष्ट माना गया है। प्रतीकों के सटीक इस्तेमाल एवं व्यंग्यात्मक शैली के कारण ही इस उपन्यास को डोगरी में ही नहीं अखिल भारतीय स्तर पर भी सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में रखा जा सकता है।‘
डा प्रीतम चन्द षास्त्री के अनुसार- ‘उपन्यास के उपक्रम में ही सारथी जी शिव शब्द द्वारा उपन्यास का मंगलाचरण करते हैं। शिव मंगल का वाचक है और शिव ही सत्य का दूसरा नाम भी है। कुछ आगे चल कर लेखक समुद्र मंथन की बात करता है। सत्य के अन्वेषण का प्रयास मात्र था समुद्र मंथन। उपन्यास में चर्चित नगर मंथन भी सत्य के अन्वेषण के प्रयास का दूसरा रूप है। समुद्र मंथन की भान्ति ही मति मंथन में भी कुछ विचार कौस्तुक हाथ लगते हैं। किन्तु कुछ आधुनिक मूल्यांकन की अपेक्षा है। देखना है कि वे इन कौस्तुकों को कण्ठहार बनाने में कितने लालायित हैं।‘
प्रख्यात समीक्षक राम प्रकाश राही ‘नंगा रुक्ख’ की समीक्षा करते हुए लिखते हैं- ‘साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत डोगरी उपन्यास का यह अनुवाद अपनी मूल कृति के इतना निकट है कि हिन्दी जगत के लिए भी यह प्रतीकात्मक शैली का अनूठा उपहार बन गया है जो हर दृष्टिकोण से यथार्थ के सभी संदर्भों का जीवन्त चित्रण करता है। इस अनुवाद से हिन्दी में जहां हर प्रकार की कृतियों अभाव पूरा होता दिखाई देता है वहां डोगरी भाषा के सर्वोच्च साहित्य की जानकारी भी प्राप्त होती है।‘
कर्नल शिवनाथ उपन्यास के अंग्रज़ी अनुवाद द चरनिंग ऑफ द सिटि (The churning of the city) की भूमिका में लिखते हैं - इस रचना में मानवीय स्थितियों के संबंध में कुछ मूलभूत प्रश्न उठाए गए हैं। इस की शैली भी आकर्षक एवं दिलचस्प है। द्रुत गति वाले छोटे छोटे वाक्य। अन्तः स्थापित संवाद, व्यंग्यात्मक भाषा एवं कथा शैली, सरल टिप्पणियों एवं असुविधाजनक प्रश्नों की कारीगरी द्वारा नगर के बदलवते स्वरूप एवं मूल्यों का गहरा और सशक्त प्रस्तुतीकरण। (this compostion raises certain fundamental questions about the human situation. The style is also interesting and engaging. Short clipped sentences, interspersed dialogues, brisk movement of line, a tongue in cheque stance and telling, effective strokes in the shape of naive comments and uncomfortable questions which strenthen and deepen the awareness of chanign face and values of the city.
एक साक्षात्कार की भूमिका में आशा अरोड़ा लिखती हैं- नंगा रूक्ख के हिन्दी अनुवाद की भूमिका पढ़ते हुए एक शब्द सारथी जी के लिए बड़ा सटीक लगा था-तीन आंखों वाला आदमी-जो चित्रकार है, संगीतज्ञ है और साहित्यकार है। इसमें कौन सा पक्ष ज़्यादा उभरा है यह तो आलोचक जानें पर डोगरी साहित्यकार के रूप में उन की प्रतिष्ठा बनी है और वे इस में जाने जाते हैं। बीसियों पुस्तकों के रचयिता सारथी अनुभवों के विशाल सागर के प्रतीक हैं। प्रख्यात साहित्यकार एवं समीक्षक भोलानाथ भ्रमर लिखते हैं - सारथी जी न केवल स्वयं प्रयोगधर्मीं हैं अपितु प्रयोग को आन्दोलन के रूप में प्रस्तुत करना भी अपना धर्म समझते हैं। वे एक सफल चित्रकार हैं, कवि हैं, कहानीकार हैं और उपन्यासकार हैं इसलिए उन की कला में काव्यात्मक्ता, कहानी कहने की कला और चित्र आकलन की विशेषताओं का समन्वित रूप मिलता है।
इतने सारे समीक्षकों एवं साहित्यकारों को यहां उद्धृत करने का एक ही लक्ष्य है कि चिन्तनशील पाठक तथाकथित पूर्वाग्रही आलोचकों की मौलिक टिप्पणी पर ही ‘नंगा रुक्ख’ जैसे उत्कृष्ट उपन्यास से वंचित न रह जाये।
...............क्रमशः ..................कपिल अनिरुद्ध
प्रख्यात समीक्षक राम प्रकाश राही ‘नंगा रुक्ख’ की समीक्षा करते हुए लिखते हैं- ‘साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत डोगरी उपन्यास का यह अनुवाद अपनी मूल कृति के इतना निकट है कि हिन्दी जगत के लिए भी यह प्रतीकात्मक शैली का अनूठा उपहार बन गया है जो हर दृष्टिकोण से यथार्थ के सभी संदर्भों का जीवन्त चित्रण करता है। इस अनुवाद से हिन्दी में जहां हर प्रकार की कृतियों अभाव पूरा होता दिखाई देता है वहां डोगरी भाषा के सर्वोच्च साहित्य की जानकारी भी प्राप्त होती है।‘
कर्नल शिवनाथ उपन्यास के अंग्रज़ी अनुवाद द चरनिंग ऑफ द सिटि (The churning of the city) की भूमिका में लिखते हैं - इस रचना में मानवीय स्थितियों के संबंध में कुछ मूलभूत प्रश्न उठाए गए हैं। इस की शैली भी आकर्षक एवं दिलचस्प है। द्रुत गति वाले छोटे छोटे वाक्य। अन्तः स्थापित संवाद, व्यंग्यात्मक भाषा एवं कथा शैली, सरल टिप्पणियों एवं असुविधाजनक प्रश्नों की कारीगरी द्वारा नगर के बदलवते स्वरूप एवं मूल्यों का गहरा और सशक्त प्रस्तुतीकरण। (this compostion raises certain fundamental questions about the human situation. The style is also interesting and engaging. Short clipped sentences, interspersed dialogues, brisk movement of line, a tongue in cheque stance and telling, effective strokes in the shape of naive comments and uncomfortable questions which strenthen and deepen the awareness of chanign face and values of the city.
एक साक्षात्कार की भूमिका में आशा अरोड़ा लिखती हैं- नंगा रूक्ख के हिन्दी अनुवाद की भूमिका पढ़ते हुए एक शब्द सारथी जी के लिए बड़ा सटीक लगा था-तीन आंखों वाला आदमी-जो चित्रकार है, संगीतज्ञ है और साहित्यकार है। इसमें कौन सा पक्ष ज़्यादा उभरा है यह तो आलोचक जानें पर डोगरी साहित्यकार के रूप में उन की प्रतिष्ठा बनी है और वे इस में जाने जाते हैं। बीसियों पुस्तकों के रचयिता सारथी अनुभवों के विशाल सागर के प्रतीक हैं। प्रख्यात साहित्यकार एवं समीक्षक भोलानाथ भ्रमर लिखते हैं - सारथी जी न केवल स्वयं प्रयोगधर्मीं हैं अपितु प्रयोग को आन्दोलन के रूप में प्रस्तुत करना भी अपना धर्म समझते हैं। वे एक सफल चित्रकार हैं, कवि हैं, कहानीकार हैं और उपन्यासकार हैं इसलिए उन की कला में काव्यात्मक्ता, कहानी कहने की कला और चित्र आकलन की विशेषताओं का समन्वित रूप मिलता है।
इतने सारे समीक्षकों एवं साहित्यकारों को यहां उद्धृत करने का एक ही लक्ष्य है कि चिन्तनशील पाठक तथाकथित पूर्वाग्रही आलोचकों की मौलिक टिप्पणी पर ही ‘नंगा रुक्ख’ जैसे उत्कृष्ट उपन्यास से वंचित न रह जाये।
...............क्रमशः ..................कपिल अनिरुद्ध