सारथी कला निकेतन (सकलानि)

Sunday, 24 June 2012


श्री सारथी उवाच ..................
"समाज अनुदान पर आधारित है। समाज को सदैव हर व्यक्ति से अनुदान चाहिए तभी इस का मूल ढांचा खड़ा रह सकता है । समाज से मांगो नहीं, समाज को देते चले जाओ । एक आदमी साधक बन कर, समर्पित हो कर जो कुछ समाज को दे सकता है वह बहुत बड़ा वैज्ञानिक और कलाकार बन कर कभी नहीं दे सकता ।
हर व्यक्ति जो की शांतिमय, सुखमय, पीड़ारहित, आभाव रहित समाज में रहने का इच्छुक हो वह वैज्ञानिक बाद में बने, इतिहासकार, खगोलशास्त्री, भूगोलविशेषज्ञ बाद में बने, देशभक्त बाद में बने पहले वह समर्पण के लिए साधना करे और यह जान जाए कि समर्पण का अर्थ जीवित ही जगत और जगत के कर्ता के लिए मर जाना है अथवा स्वयं को मृत घोषित कर देना है। यह संभव कभी नहीं हो सकता कि आदमी स्वयं भी जीवित रहे और समाज के मूल्यों को भी जीवित रख सके " ।
 ·  ·  · June 21 at 12:16am
  • You, Vidyarthi OmprakashShivdev Manhas and 2 others like this.
    • Shivdev Manhas समाज अनुदान पर आधारित है। समाज को सदैव हर व्यक्ति से अनुदान चाहिए तभी इस का मूल ढांचा खड़ा रह सकता है ।
    • Shivdev Manhas हर व्यक्ति जो की शांतिमय, सुखमय, पीड़ारहित, आभाव रहित समाज में रहने का इच्छुक हो,पहले वह समर्पण के लिए साधना करे और यह जान जाए कि समर्पण का अर्थ जीवित ही जगत और जगत के कर्ता के लिए मर जाना है .
    • Shivdev Manhas समाज से मांगो नहीं, समाज को देते चले जाओ । एक साधक बन कर.
      June 21 at 6:57am ·  · 1
    • Shivdev Manhas कपिल जी, लोक आखदे न, डोगरी च खूबसूरत QUATATIONS नेईं मिलदियां.............................पर लोक पढ़न ते सही.फी आखन.

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