सारथी कला निकेतन (सकलानि)

Saturday, 1 September 2012

-धरती का गीत ---

रचनाकार --- 
गुरुदेव (डा.) ओ. पी .शर्मा "सारथी"

जग से ही न्यारी है धरती देख लो 
स्वर्ग से प्यारी है धरती देख लो 

इस का हर इक दृश्य हरियाला भी है
इस धरा ने शांति को पाला भी है
गगनभेदी अर्चना पूजा यहाँ
राममय सारी है धरती देख लो
जग से ही ..........................

कलश मंदिर के सभी स्वर्णिम यहाँ
ब्रह्म के साकार स्वर अनुपम यहाँ
धर्म का साम्राज्य है हर ओर अब
किस से कब हारी है धरती देख लो
जग से ही ..........................

वीरता के चिन्ह पग पग पर यहाँ
धीरता के चिन्ह हर पग पर यहाँ
जान देने को सभी तैयार हैं
सब को ही प्यारी है धरती देख लो
जग से ही ..........................

क्या करोगे स्वर्ग को सेवा बिना
दीन, रोगी वृद्ध की पूजा बिना
कर्म ही है धर्म बस इक मन्त्र से
रंग रही सारी है धरती देख लो
जग से ही ..........................

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