सारथी कला निकेतन (सकलानि)

Monday, 3 September 2012

-धरती का गीत ---
रचनाकार --- गुरुदेव (डा.) ओ. पी .शर्मा "सारथी"


माँ जगाती है सभी को
नींद में क्यों सो रहे हो 
भूल कर गौरव को अपने
तुम परेशां हो रहे हो

इक नज़र इतिहास देखो
तुम में बल है त्याग का भी
युद्ध का भी शांति का भी
और बल अनुराग का भी
हित अहित को सम समझ कर
मात्र शंका ढ़ो रहे हो
भूल कर गौरव.............

भीम की है तुम में शक्ति
राम का है धैर्य तुम में
पार्थ से रण में धनी हो
कृष्ण का है शौर्य तुम में
छोड़ कर अपने गुणों को
तुम तो कायर हो रहे हो
भूल कर गौरव.............

त्याग दो अभिशप्त जीवन
घर संभालो घर बचा लो
आज घर के भेदियों से
रो रही माँ को बचा लो
तुम शिवा, राणा, भगत सिंह
वीर सावरकर रहे हो
भूल कर गौरव.............

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