सारथी कला निकेतन (सकलानि)

Saturday, 22 September 2012

-धरती का गीत ---

रचनाकार --- गुरुदेव (डा.) ओ. पी .शर्मा "सारथी"

मेरे दिल में तू ही तू है, तेरी ही याद आती है 
वतन मेरे मुहब्बत आज तेरी रंग लाती है 

मेरे सपने तुम्ही से हैं, मेरी ताबीर भी तू है
हजारों रंग तेरे हैं मेरी तस्वीर भी तू है
वतन मेरे तेरी उल्फत मुझे रह रह जगाती है
वतन मेरे मुहब्बत ..................................

जुनूँ सर पर है तेरी याद का, कुछ कर दिखायेंगे
जिधर कोई नहीं जाता, तेरी दीवाने जायेंगे
वही है सुख शहादत की तरफ जो राह जाती है
वतन मेरे मुहब्बत ..................................

वो रिश्ते जो कि तुझ से हैं हमें तो काम उन से है
तेरे कुर्बान हो जाएँ हमारा नाम उन से है
हमारे दिल में तेरे नाम कि लौ जगमगाती है
वतन मेरे मुहब्बत ..................................

मिले दौलत तो ठुकरा दें मिले जन्नत तो क्या हासिल
मिले जो नाम और शौहरत, यह सब बेकार लाहासिल
मेरे प्यारे वतन तेरे बिना यह जान जाती है
वतन मेरे मुहब्बत ..................................

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