जम्मू के प्रख्यात साहित्यकार पदम् श्री जितेन्द्र उधमपुरी जी द्वारा "सारथी" शीर्षक से श्री सारथी जी को कविता रूप में एक श्रद्धांजलि .........
"सारथी "
बात
सदियों पुरानी नहीं
बस
चाँद बरस पहले की है
यहाँ एक शख्स था
इसी धरती पर
जो रंगों से खेलता था, रंग समेटता था
रंगों में रहता था
रंग लिखता था
रंग सीता था
रंग जीता था
वह रंग बोता था
रंग पालता, रंग काटता था
वह दरवेश था
फकीर था
कृष्ण कन्हैय्या नहीं
आम आदमी का सारथी था
जो इन्द्रधनुष के सात रंगों से होते हुए
रंगों के पार ले जाता था
इसी धरती पर
चाँद बरस पहले
एक सारथी रहता था
जो रंग सिर्फ रंग बांटता था
बस
चाँद बरस पहले की है
यहाँ एक शख्स था
इसी धरती पर
जो रंगों से खेलता था, रंग समेटता था
रंगों में रहता था
रंग लिखता था
रंग सीता था
रंग जीता था
वह रंग बोता था
रंग पालता, रंग काटता था
वह दरवेश था
फकीर था
कृष्ण कन्हैय्या नहीं
आम आदमी का सारथी था
जो इन्द्रधनुष के सात रंगों से होते हुए
रंगों के पार ले जाता था
इसी धरती पर
चाँद बरस पहले
एक सारथी रहता था
जो रंग सिर्फ रंग बांटता था
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