तेल रंगों(oil Colours) में बने इस भू दृश्य(landscape) में एक यात्री डोगरा परिधान पहने एक चट्टान पर बैठा दिखाई दे रहा है । सर पर पगड़ी, लम्बा कुर्ता और चूडीदार पायजामा पहने यात्री ने हाथ में एक लाठी पकड़ राखी है और साथ में एक गठरी पड़ी है । पीछे(background) त्रिकुटा के पावन पर्वत दीख रहे है । पूरा भू दृश्य हमारे डोगरा आँचल का एक प्रतिनिधि चित्र कहा जा सकता है । इस खूबसूरत भू दृश्य(landscape) में रचनाकार के अपने डोगरा आँचल और डुग्गर संस्कृति के प्रति प्रेम के ही दर्शन होते है । गुरुदेव सारथी जी की इस कलाकृति में यात्री के चेहरे पर संतोष और आध्यात्मिक आभा को भी स्पष्ट देखा जा सकता है ।
तेल रंगों(oil Colours) में बने इस भू दृश्य(landscape) में एक यात्री डोगरा परिधान पहने एक चट्टान पर बैठा दिखाई दे रहा है । सर पर पगड़ी, लम्बा कुर्ता और चूडीदार पायजामा पहने यात्री ने हाथ में एक लाठी पकड़ राखी है और साथ में एक गठरी पड़ी है । पीछे(background) त्रिकुटा के पावन पर्वत दीख रहे है । पूरा भू दृश्य हमारे डोगरा आँचल का एक प्रतिनिधि चित्र कहा जा सकता है । इस खूबसूरत भू दृश्य(landscape) में रचनाकार के अपने डोगरा आँचल और डुग्गर संस्कृति के प्रति प्रेम के ही दर्शन होते है । गुरुदेव सारथी जी की इस कलाकृति में यात्री के चेहरे पर संतोष और आध्यात्मिक आभा को भी स्पष्ट देखा जा सकता है ।
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