सारथी कला निकेतन (सकलानि)

Wednesday, 30 August 2017

सागर की कहानी (15)

सागर की कहानी - श्री सारथी जी की जीवनी को धारावाहिक रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास।
सागर की कहानी (15)
सारथी जी कहा करते - आज के साहित्य को आन्दोलनात्मक कहना ठीक होगा। लेखन तहरीक का मोहताज है। वह तहरीक घर-बाहर, दोस्तों, मित्रों अपने पराये सब किसी से किसी न किसी रूप में मिलती रहती है। मुझ में लिखने का जुनून है। इसलिये मुझे तहरीक चाहिए। तहरीक के लिए मैंने स्वयं को हर क्षण तैयार रखा है। हर क्षण, हर चीज़, हर आदमी, हर तथ्य से सम्बन्ध कायम किया है। सम्बन्ध बढ़ाया है। साहित्य तहरीक का मोहताज़ है। तहरीक सम्बन्ध की मोहताज़ है। सम्बन्ध जुनून की मोहताज़ है। जुनून प्रेम का मोहताज़ है। प्रेम फकीरी और त्याग का मोहताज़ है।
जिज्ञासुयों की शंकायों और जिज्ञासायों को मिटाने हेतु जब उन का चिन्तन प्रवाह आरम्भ होता तो सुनने वाला अपने ही गहन अन्तःकरण में उतरता चला जाता तथा सहज ही में निःशंक, निरद्व्न्द्व अवस्था में प्रवेश करता चला जाता। दूसरों को शंका रहित हेतु वे अक्सर भोजन करना भी भूल जाते अथवा स्वयं ही भोजन का त्याग कर देते। उन की बस यही कामना होती कि व्यक्ति एक बार जाग जाये। वे अक्सर गुरू नानकदेव जी का यह दोहा सुनाया करते-
जागो रे जिन जागना अब जागन की बार
तब क्या जागे नानका जब सोया पाँव पसार
वे कहते - समाज की रुप-रेखा और उस में रेंगती अर्न्तधाराये इसी कारण दुष्परिणामों का शिकार हो रहीं हैं तथा चरमराती नज़र आ रही हैं क्योंकि वह आदमी जो मूल्यों को बहाल करने का बीड़ा उठाता है वह पहले ज़िन्दा होना चाहता है फिर वह किसी निर्जीव अथवा घायल मूल्य को जीवित करना चाहता है। श्री सारथी जी दीक्षा दिया करते कि घर से टूटा हुआ व्यक्ति समाज से किसी प्रकार भी जुड़ नहीं सकता। वे कहते यदि स्वयं को राष्ट्र भक्त, राष्ट्र रक्षक और राष्ट्र निर्माता सिद्ध करना है और यदि संत कबीर की यह उक्ति सिद्ध करनी है कि
जने तो जननी भक्त जन या दाता या सूर
नहीं तो जननी बाँझ रहे काहे गवाबे नूर
तो फिर किसी भी व्यक्ति के पास चाहे वह नर हो सा नारी बिना लिंग भेद के कोई चारा नहीं रह जाता कि वह दाता बने, दानवीर बने अथवा भक्त बने। देश भक्ति, प्रभु भक्ति, मातृ भक्ति, गुरू भक्ति में प्रवेश करे अथवा शूरबीर बने। यदि नहीं बन सकता तो उसे जन्म लेने का कोई अधिकार नहीं और न हीं माँ को जन्म देने का कोई अधिकार है।

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